महाविद्यालय के साथ ही हिंदी विभाग की स्थापना 1993 में हुई। हिंदी विभाग में पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों के व्यक्तित्व को उभारते हुए उनकी सर्जनात्मकता को मंच प्रदान करना, भाषिक अभिव्यक्ति, भाषा का ज्ञान, भाषा एवं साहित्य के माध्यम से नैतिक शिक्षा, सामाजिक सद्भाव, राष्ट्रीय भावना, रोजगार के कौशल का निर्माण करना हिंदी विभाग का उद्देश्य रहा हैं। हिंदी विभाग में उच्च विद्या विभूषित अध्यापक कार्यरत हैं । विभाग में छात्रों के लिए उपयोगिता पूर्ण विभागीय पुस्तकालय में 158 उपयोगी किताबों की उपलब्धता हैं। विभागीय पुस्तकालय में माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट से तथा यूजीसी की निशुल्क पुस्तक योजना से पुस्तक समाहित है। विभाग ने 22 मार्च, 2024 को *''हिंदी साहित्य में चित्रित किसान एवं दिव्यांग विमर्श''* विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था जिसमें भारत के अनेक राज्यों से अध्यापक तथा शोधकर्ता सम्मिलित हुएं। विभाग के दो छात्र सेट परीक्षा उत्तीर्ण हैं। कई शिक्षा संस्थानों में विभाग के छात्र अध्यापक के रूप में कार्यरत हैं। नियमित तासिकाओं के साथ ही विभाग में हिंदी दिवस समारोह, विस्तार व्याख्यान, पोस्टर प्रदर्शन, हिंदी साहित्य मंडल का गठन तथा सेमिनार का आयोजन किया जाता हैं । नेशनल यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस एवं महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 4 अॅडआॅन कोर्स 2019 से 2023 तक चलाएं जिसमें 282 छात्र लाभान्वित हुए। उक्त में से 10 छात्र प्लेसमेंट के द्वारा अलग-अलग संस्थाओं में कार्यरत है। विभाग में शोध-निर्देशक के मार्गदर्शन में एक छात्रा ने विद्यावाचस्पति (Ph.D) उपाधि प्राप्त की है साथ ही चार शोध-छात्र अनुसंधान कार्य में कार्यरत हैं। विभाग ने UGC का माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट *प्रेमचंद तथा जगदीश चंद्र के उपन्यासों में दलित चेतना* पूर्ण किया।